अरबों का धन मिलने वाला है इन 6 राशियों को, इनके रोम- रोम बस चुकी हैं मां लक्ष्मी
अरबों का धन मिलने वाला है इन 6 राशियों को, इनके रोम- रोम बस चुकी हैं मां लक्ष्मी
सिंह राशि, कन्या राशि:- आपका आने वाला समय आपके लिए खुशियां लेकर आने वाला है। आपके प्रेम संबंधों में सुधार आएगा। आपके प्रेम विवाह के योग बन रहे हैं। विवाहित जातकों का ज्यादा समय अपने जीवनसाथी और बच्चों के साथ व्यतीत हो सकता है। आप अपने लव पार्टनर के साथ किसी रोमांटिक स्थान पर घूमने जा सकते हैं। आपको अपने लव पार्टनर का भरपूर प्यार और सहयोग मिलेगा। आप की नई लव स्टोरी भी शुरू हो सकती है।
तुला राशि, वृश्चिक राशि:- प्रेम संबंधित मामलों के लिए समय अच्छा रह सकता है। आप अपने प्रियतम को खुश रखने का पूरा प्रयास करेंगे और अनेक प्रकार के काम करेंगे जिससे उन्हें खुशी मिल सके। आपके जीवन में आने वाले सभी संकट और दुख तकलीफ है दूर करेंगे।आपका प्रेमी भी आपसे बहुत प्यार करेगा और आप दोनों हमेशा खुश रहेंगे। मेहनत से ही सफलता मिलेगी।
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कुंभ राशि, मीन राशि:- इन राशियों की कुंडली में सूर्य चंद्र और शुक्र की स्थिति सबसे मजबूत दिखाई दे रही है जिसके कारण यह राशि के जातक प्रेम में सफलता प्राप्त हो सकती है आपको इन महीनों में कुछ नए बदलाव दिखाई देंगे जो आपके लिए बहुत आवश्यक है अगर आप की शादी नहीं हुई है तो आपको कोई अच्छा रिश्ता आ सकता है आप रोजगार की तलाश में रहेंगे इन राशि के जातकों को आर्थिक स्थिति भी अच्छी दिखाई देगी।
अगर आप चाहते हैं। आपके ऊपर मां लक्ष्मी की कृपा दृष्टि बनी रहे। आपकी मनोकामनाएं पूरी हो तो, कृपया कमेंट में "जय मां लक्ष्मी" जरूर लिखें। पोस्ट को लाइक और अपने दोस्तों के साथ शेयर करें।
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आप एक गंभीर रिश्ते की दिशा में एक कदम उठा सकते है। आप अपने साथी से मिलने हेतु यात्रा पर जा सकते हैं। अन्यथा, दोनों ही एक साथ सैर-सपाटे पर जा सकते हैं। अपने मित्रों एवं परिजनों को छोड़कर आपस में एक-दूसरे के साथ समय बिताने का अवसर मिलेगा।ǀअपने लम्बे सहकर्मी रह चुके लोगों के साथ भी अपनी जानकारियां साझी न करें ǀ इस दौरान धीरज से काम लेंगे तो जल्दी ही अपने शुभचिंतकों को भी पहचान जायेंगे ǀदिन लाभदायी है ऐसा गणेशजी को प्रतीत होता है।
मित्रों व स्त्री मित्रों से लाभ होने की संभावना है। किसी सुंदर स्थल के पर्यटन की संभावना है। अनिर्णायक्ता के कारण हाथ आया अवसर जा सकता है, जिस कारण महत्त्वपूर्ण निर्णयों को टालने की गणेशजी सलाह देते हैं। अधिकतर समय विचारों में व्यस्त रहेंगे। व्यापार एवं आर्थिक लाभ के योग हैं।यह एक अच्छा मौका होगा, जिसके कारण आप अपनी व्यस्त दिनचर्या से बाहर निकल कर उन क्षणों को याद कर सकेंगे, जबकि आप पहली बार अपने साथी से मिले थे। प्रेम-पूर्वक उत्साह-पूर्वक एक साथ एक दूसरे के लिए बिताएं।
सिंह, धनु और तुला राशि के लोग रहेंगे भाग्यशाली। यदि आप इन राशियों में से एक है तो नीचे कमेंट में राधे-राधे अवश्य लिखें। ऊपर पीले रंग के बटन को दबाकर हमें फॉलो जरूर करें।
इसी तारीख को एकादशी माता का हुआ था जन्म, जानें पूजा की विधि और विधान
मास के कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी का व्रत किया जाता है, जो इस बार 22 नंवबर को है। एकादशी का दिन भगवान विष्णु को समर्पित है।
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पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी व्रत के प्रभाव से मोक्ष की प्राप्ति होती है। बहुत कम ही लोग जानते हैं कि एकादशी एक देवी थी, जिनका जन्म भगवान विष्णु से हुआ था। एकादशी मार्गशीर्ष मास की कृष्ण एकादशी को प्रकट हुई थीं, जिसके कारण इस एकादशी का नाम उत्पन्ना एकादशी पड़ा इसी दिन से एकादशी व्रत शुरू हुआ था।
वर्षों तक चला था युद्ध
ऐसा माना जाता है कि स्वयं श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को एकादशी माता के जन्म की कथा सुनाई। कथा कुछ इस प्रकार थी। सतयुग के समय मुर नाम का राक्षस था। उसने अपनी शक्ति से स्वर्ग लोक को जीत लिया था। ऐसे में इंद्रदेव ने विष्णु जी से मदद मांगी। विष्णु जी का मुर दैत्य से युद्ध आरंभ हो गया, जो कई वर्षों तक चला। अंत में विष्णु जी को नींद आने लगी तो वे बद्रिकाश्रम में हेमवती नामक गुफा में विश्राम करने चले गए। मुर भी उनके पीछे पहुंचा और सोते हुए भगवान को मारने के लिए बढ़ा तो तभी अंदर से एक कन्या निकली और उसने मुर से युद्ध कि या। घमासान युद्ध के बाद कन्या ने मुर का मस्तक धड़ से अलग कर दिया गया। जब विष्णु की नींद टूटी तो उन्हें आश्चर्य हुआ कि यह कैसे हुआ? कन्या ने सब विस्तार से बताया। वृत्तांत जानकर विष्णु ने कन्या को वरदान मांगने के लिए कहा। कन्या ने मांगा कि अगर कोई मनुष्य मेरा उपवास करे तो उसके सारे पाप नाश हो जाएं और उसे विष्णु लोक मिले। तब भगवान ने उस कन्या को एकादशी नाम दिया और वरदान दिया कि इस व्रत के पालन से मनुष्य जाति के पापों का नाश होगा और उन्हें विष्णु लोक मिलेगा।
उत्पन्ना एकादशी व्रत का महत्व
मान्यता है कि जो मनुष्य उत्पन्ना एकादशी का व्रत पूरे विधि-विधान से करता है, वह सभी तीर्थों का फल व भगवान विष्णु के धाम को प्राप्त करता है।
व्रत के दिन दान करने से लाख गुना वृद्धि के फल की प्राप्ति होती है। जो व्यक्ति निर्जल संकल्प लेकर उत्पन्ना एकादशी व्रत रखता है, उसे मोक्ष व भगवान विष्णु की प्राप्ति होती है।
ये व्रत रखने से व्यक्ति के सभी प्रकार के पापों का नाश होता है। धर्म शास्त्रों के अनुसार इस व्रत को करने से अश्वमेघ यज्ञ, तीर्थ स्नान व दान आदि करने से भी ज्यादा पुण्य मिलता है।
पूजा विधि
पद्म पुराण के अनुसार उत्पन्ना एकादशी व्रत में भगवान विष्णु समेत देवी एकादशी की पूजा का भी विधान है। इसके अनुसार मार्गशीर्ष कृष्ण पक्ष की दशमी को भोजन के बाद अच्छी तरह से दातून करना चाहिए ताकि अन्न का अंश मुंह में न रहे।
उत्पन्ना एकादशी के दिन सुबह उठकर व्रत का संकल्प कर शुद्ध जल से स्नान करना चाहिए।
धूप, दीप, नैवेद्य आदि सोलह सामग्री से भगवान श्रीकृष्ण का पूजन, तथा रात को दीपदान करना चाहिए। उत्पन्ना एकादशी की सारी रात भगवान का भजन- कीर्तन करना चाहिए।
श्री हरि विष्णु से अनजाने में हुई भूल या पाप के लिए क्षमा मांगनी चाहिए।
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अगली सुबह पुनः भगवान श्रीकृष्ण की पूजा कर ब्राह्मण को भोजन कराना चाहिए।
भोजन के बाद ब्राह्मण को क्षमता के अनुसार दान देकर विदा करना चाहिए।
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Reviewed by Tadka News
on
November 19, 2019
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